बहादुरगढ़ आज तक, विनोद कुमार
विश्व शान्ति के निमित 108 कुंडीय वेदिक महायज्ञ एवम् योग साधना शिविर जो कि कम्यूनिटी सेंटर सेक्टर-6 बहादुरगढ़ में आयोजित किया गया इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय श्री ओमप्रकाश धनखड जी कृषि एवम् पंचायत मन्त्री हरियाणा सरकार ने इस कार्यक्रम के मुख्य सन्त श्री सदगुरु आचार्य स्वतन्त्र देव जी महाराज ओर संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज के श्री चरणों में प्रणाम करते हुए अपना उध्बोधन शुरू किया। इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि यज्ञ का मतलब है दूसरों के लिए काम करना। ऋषियों द्वारा ईश्वरीय चिंतन में निरत जीवन पद्धति खोजी गई जिसमें यज्ञ से मानव मन में स्थापित वांछित लाभ पाया जा सकता है। इस विधि व्यवस्था को त्रिकाल संध्या के रूप में ऋषियों ने भी अपनाया और यज्ञ के अध्यात्म को अवतारी सत्ताओं ने भी स्वीकारा।
यज्ञों की भौतिक और आध्यात्मिक महत्ता असाधारण है। भौतिक या आध्यात्मिक जिस क्षेत्र पर भी दृष्टि डालें उसी में यज्ञ की महत्वपूर्ण उपयोगिता दृष्टिगोचर होती है। वेद में ज्ञान, कर्म, उपासना तीन विषय हैं। कर्म का अभिप्राय-कर्म -काण्ड से है कर्मकाण्ड यज्ञ को कहते हैं। वेदों का है। यों तो सभी वेदमंत्र ऐसे हैं जिनकी शक्ति को प्रस्फुरित करने के लिए उनका उच्चारण करते हुए यज्ञ करने की आवश्यकता होती है।
जिस प्रकार आजकल यन्त्रों (मशीनों) की सहायता से भौतिक जीवन के अनेकों सुख साधन उत्पन्न किये जाते हैं उसको सरल करने का विज्ञान विकसित हुआ था। शब्द-विद्या एक बड़ी विद्या है। किस शब्द के बाद क्या शब्द कितने चढ़ाव उतार से बोला जाय तो उससे किस प्रकार की ध्वनि तरंगें निकलती हैं और उनका सूक्ष्म प्रकृति पर तथा मनुष्य की भीतरी चेतना पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसी रहस्य को जानने में ऋषियों ने हजारों वर्षों तक श्रम किया था और शब्द-विद्या के वैज्ञानिक तथ्यों को जानकर मन्त्र शास्त्र की रचना की थी।
वेद मंत्रों में यों शिक्षाएं भी बड़ी महत्वपूर्ण हैं पर उन अक्षरों में शक्ति के स्त्रोत भी दबे पड़े हैं। जिस प्रकार अमुक स्वर-विन्यास के शब्दों की रचना करने से अनेक राग–रागनियां बजती हैं और उनका प्रभाव सुनने वालों पर विभिन्न प्रकार का होता है, उसी प्रकार मन्त्रोच्चारण से भी एक प्रकार की ध्वनि तरंगें निकलती हैं और उनका भारी प्रभाव विश्वव्यापी प्रकृति पर, सूक्ष्म जगत पर, तथा प्राणियों के स्थूल तथा सूक्ष्म शरीरों पर पड़ता है।
यज्ञों की भौतिक और आध्यात्मिक महत्ता असाधारण है। भौतिक या आध्यात्मिक जिस क्षेत्र पर भी दृष्टि डालें उसी में यज्ञ की महत्वपूर्ण उपयोगिता दृष्टिगोचर होती है। वेद में ज्ञान, कर्म, उपासना तीन विषय हैं। कर्म का अभिप्राय-कर्म -काण्ड से है कर्मकाण्ड यज्ञ को कहते हैं। वेदों का है। यों तो सभी वेदमंत्र ऐसे हैं जिनकी शक्ति को प्रस्फुरित करने के लिए उनका उच्चारण करते हुए यज्ञ करने की आवश्यकता होती है। अपने लिए तो सभी काम करते हैं लेकिन देश और समाज के लिए काम करने वालों को ही याद किया जाता है। इस अवसर विशिष्ट अतिथि विधायक नरेश कौशिक हल्का बहादुरगढ़,भाजपा ज़िला अध्यक्ष बिजेंद्र दलाल, भाजपा ज़िला संयोजक दिनेश सिंह शेखावत के साथ भाजपा मीडिया प्रभारी सतबीर सिंह चौहान, मंडल महामन्त्री विजय सिंह शेखावत, नवीन बंटी, सन्त मोहन कोलोनिया जी, महेश कुमार, अस्वनी शर्मा, गजराज सराय आदि अनेक गणमान्य व्यक्ति शामिल रहें ओर सभी ने साथियों के साथ पहुँच आहुति डाली।
सतबीर चौहान ने बताया कि बहादुरगढ़ में इस तरह का यह पहला आयोजन था ओर इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति विशेष या धर्म के प्रचार प्रसार की बजाय विश्व शांति ओर भाईचारे को बढ़ाने के साथ अध्यात्म ओर योग के ज्ञान का प्रसार करना था।आज के इस महायग प्रोग्राम को सुनियोजित ढंग से सफल बनाने के लिए संत कालोनिया ओर सभी आयोजकों ने सतबीर सिंह चौहान का विशेष धन्यवाद किया।
