बहादुरगढ़ आज तक, विनोद कुमार
शहीद भगत सिंह ने देश को आजादी दिलाने के लिए लड़ी गई लड़ाई में निर्णायक भूमिका निभाई थी। उन्होंने देश की आज़ादी के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दी । देश की स्वाधीनता संग्राम के अमर शहीदों भगत सिंह , राजगुरु और सुखदेव को याद करते हुए आज हम शहीदी दिवस पर उनके पदचिन्हों पर चलने का संकल्प लें यही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी । यह विचार बी एल एस तकनीकी एवं प्रबंधन संस्थान में पत्रकारिता विभाग द्वारा शहीदी दिवस के मौके पर शहीद -ए – आजम भगत सिंह के विचारों की प्रासंगिकता विषय पर आयोजित सेमिनार में वक्ताओं ने व्यक्त किये ।
पत्रकारिता विभाग के समन्वयक हर्षवर्धन पाण्डे ने अपने संबोधन में कहा कि भगत सिंह को छोटी उम्र से ही गुलामी पसंद नहीं थी। यही बात अंग्रेजों को पसंद नहीं थी। उन्होंने सुखदेव और राजगुरु के साथ मिलकर सिर्फ और सिर्फ आजादी के सपने देखे। भगतसिंह की शहादत से न केवल अपने देश के स्वतंत्रता संघर्ष को गति मिली बल्कि नवयुवकों के लिए भी वह प्रेरणा स्रोत बन गए। उन्होंने कहा कि शहीद भगतसिंह के सपनों के समाज के निर्माण के पथ पर चलना ही शहीद भगतसिंह की कुर्बानी और विचारधारा को सच्ची श्रद्धांजलि होगी । आज की नौजवान पीढ़ी को भगतसिंह से प्रेरणा और मार्गदर्शन लेते हुए समाज बदलने की राह अपनानी होगी । सहायक प्रोफ़ेसरडॉ रजनी राठी ने कहा यह एक संयोग ही था कि जब उन्हें फांसी दी गई और उन्होंने संसार से विदा ली,उस वक्त उनकी उम्र 23 वर्ष 5 माह और 23 दिन थी और दिन भी था 23 मार्च l उनका विश्वास था कि उनकी शहादत से भारतीय जनता उग्र हो जाएगी लेकिन जब तक वह जिंदा रहेंगे ऐसा नहीं हो पाएगा। इसी कारण उन्होंने मौत की सजा सुनाने के बाद भी माफीनामा लिखने से साफ मना कर दिया था।
पत्रकारिता विभाग के अंतिम वर्ष के छात्र रवि ने कहा कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह के क्रांतिकारी विचारों को आत्मसात करते हुए उन्हें जनता के बीच कारगर तरीके से पहुंचाने की आज जरूरत है । शिवम मिश्रा ने कहा कि हमें शहीदों के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। कंचन ने कहा जब विचार और संस्कृति पर हमले हो रहे हों तो ऐसे में भगत सिंह के विचार और संघर्ष और उनकी शहादत हमारे लिए प्रकाश स्तंभ है । शिवानी गुलिया और कनिका ठाकुर ने कहा अमृतसर में 13 अप्रैल 1919 को हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह की सोच पर इतना गहरा प्रभाव डाला कि लाहौर के नेशनल कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर भगत सिंह ने भारत की आजादी के लिए नौजवान भारत सभा की । मनीष सिंह जसरोटिया ने कहा आज के दौर में भगत सिंह के सम्राज्यवाद विरोधी विचार प्रासंगिक है । उन्होंने कहा सारा देश आज भी भगत सिंह के बलिदान को गंभीरता व सम्मान से याद करता है। इस मौके पर मनीष सिंह जसरोटिया ने मेरा रंग दे बसंती चोला गीत गाकर कार्यक्रम में समां बांधा | इस मौके पर सभी छात्र छात्राओं ने बढ़चढ़कर भाग लिया । सेमिनार ने भगत सिंह , राजगुरु और सुखदेव के शहादत की यादों को ताजा किया। सेमिनार का संचालन पत्रकारिता विभाग के छात्र रवि ने किया।