बहादुरगढ़ आज तक, विनोद कुमार
नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती के उपलक्ष्य में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। रोहतक के युवा कवियों बृज प्रजापति और नीरज राज़ के सानिध्य में हुई इस कार्यक्रम में सार्थक, सचित,समीर, सतपाल स्नेही और कृष्ण गोपाल विद्यार्थी ने भी मां भारती के सच्चे सपूत महान क्रांतिकारी नेताजी सुभाषचंद्र बोस को अपने भाव पुष्प अर्पित किए।
नीरज राज़ ने नेताजी को समर्पित अपनी कविता में कहा-
“पर्वत-पर्वत, नदी-नदी जो सात समंदर पार गया। आजादी का सपना लेकर जाने कितने द्वार गया। शौर्य की ऐसी ऊर्जा भर दी देश के वीर सपूतों में,जिनके साहस के कारण अंग्रेजी शासन हार गया।”
बृज प्रजापति ने नेताजी को नमन करते हुए कहा-” जीत का हर प्रयास अमर हो। वह अद्भुत उल्लास अमर हो। सच्चे क्रांतिवीर हमारे नेताजी सुभाष अमर हों।” उन्होंने कुछ हरियाणवी व्यंग्य रचनाएं भी सुनाईं।
सतपाल स्नेही ने अपनी बात ग़ज़लों के माध्यम से कही। सामयिक परिवेश पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा- ” सबके चेहरे नकाब ओढ़े हैं, कैसे जाने कि कौन है कातिल। अब तो वे हैं खुदा ज़माने के, जो नहीं हो सके किसी काबिल।”
कृष्ण गोपाल विद्यार्थी ने सुभाषचंद्र बोस को एकमात्र नेताजी बताते हुए अन्य किसी भी नेता को नेताजी कहने पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा-“कहने को हर क्षेत्र में नेता हुए अनेक,किंतु सारे विश्व में नेताजी हैं एक। नेताजी हैं एक, दूसरा हो नहीं पाया,केवल वीर सुभाष ने ही यह गौरव पाया। किसी अन्य को जब नेताजी लोग बताते, ऐसा लगता जैसे नकली नोट चलाते।”
