बहादुरगढ़ आज तक, विनोद कुमार
राष्ट्रभाषा मंच की गोष्ठी रेलवे रोड स्थित अग्रवाल धर्मशाला में संपन्न हुई।कवि कृष्ण सौमित्र द्वारा आयोजित इस गोष्ठी का संचालन किशोर मनु ने किया। युवा कवि शिव पाराशर की सरस्वती वंदना से शुरू हुए इस कार्यक्रम में सौमित्र, मनु और शिव के अलावा राजकुमार गाईड, अजय भारद्वाज और कृष्ण गोपाल विद्यार्थी ने भी अपनी रचनाएं सुनाईं।
गाईड ने ज़माने के बदलते चलन पर टिप्पणी करते हुए कहा..
हमको बड़ा शौक था ज़माने को गले लगाने का, ज़माना ही गले तक आ जाए तो कोई क्या करे ?
गीतकार विद्यार्थी ने कुछ मुक्तक सुनाए। एक बानगी देखें…
आदमी जब खुदा हो गया, एक बड़ा हादसा हो गया। लोग ऐसे बुरे तो न थे… वक़्त ही बेवफ़ा हो गया।।
शहीदों को समर्पित अपनी रचना में कृष्ण सौमित्र ने कहा…
देशप्रेम की गीता का एक नया पाठ पढ़ जाते थे वो,देश की खातिर हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ जाते थे वो।
शिव पाराशर ने तरन्नुम के साथ पढ़ी अपनी गज़़ल के माध्यम से कहा…
सीने में ग़म रख लेता हूं, आंखें भी नम रख लेता हूं। मेरा भी मन रह जाता है, जब तेरा मन रख लेता हूं।
किशोर मनु ने किसी बड़े शायर का हवाला देते हुए कहा…
मुझे लम्हे नहीं सदियां सुनेंगी,हिफाजत से मेरी आवाज़ रखना।
अजय भारद्वाज ने युवाओं की मनोस्थिति का चित्रण करते हुए कहा…
हमें मालूम है सूली पे चढ़े बैठे हैं, और वे समझे हैं कि हम तो पिए बैठे हैं। छेड़ अच्छी नहीं होती है दिल के मारों से,हम तो दिल में कई तूफ़ान लिए बैठे हैं।
अजय की प्रस्तुति के साथ ही गोष्ठी का समापन हुआ।
