बहादुरगढ़ आज तक, विनोद कुमार
दिल्ली के प्रवेश द्वार के रूप में चर्चित बहादुरगढ़ के एक अत्यंत साधारण किंतु सुसंस्कृत परिवार में जन्मे कवि कृष्ण गोपाल आज देश व दुनिया में अपने उपनाम विद्यार्थी से अधिक जाने जाते हैं। स्कूल की शनिवारीय बालसभा से अपने बालसुलभ अभिनय व आशु कविताओं पर आधारित काव्य यात्रा का शुभारम्भ करने वाले इस विद्यार्थी ने पिछले कई दशकों से अपनी जिस बहुमुखी प्रतिभा का परिचय दिया है, उसे अद्वितीय ही कहा जाएगा। दिवंगत कवियों काका हाथरसी, गोपाल प्रसाद व्यास और ओमप्रकाश आदित्य के लेखन व प्रस्तुति से प्रभावित होकर कविता के क्षेत्र में आये विद्यार्थी बालीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता मनोज कुमार को अपना सच्चा गुरू मानते हैं। बचपन में मनोज कुमार की ही कथा-पटकथा व प्रेम धवन के लिखे गीतों पर आधारित फिल्म शहीद में शहीदे आजम सरदार भगत सिंह की भूमिका से बेहद प्रभावित रहे विद्यार्थी के लेखन पर इन सभी बातों का मिलाजुला प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है। हिन्दी, उर्दू, पंजाबी व हरियाणवी पर समान पकड़ रखने वाले इस कवि के बारे में इस कवि के बारे में कोई निश्चित राय बनाना किसी चुनौती से कम नहीं। वर्ष 1987 में लिखी अपनी बहुचर्चित कविता भगतसिंह के आंसू के दम पर सफलता व लोकप्रियता के अनेक कीर्तिमान स्थापित कर चुके विद्यार्थी इस रचना को अब तक दिल्ली दूरदर्शन सहित विभिन्न टीवी चैनलों के अलावा सैकड़ों कवि सम्मेलनों में प्रस्तुत कर चुके हैं। यही नहीं उन की यह रचना महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय व दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं में भी तीन प्रतिभागियों को प्रथम पुरस्कार दिला चुकी है। शहीद भगत सिंह ब्रिगेड द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में भी विद्यार्थी की नियमित सहभागिता उनकी इसी ओजपूर्ण प्रस्तुति का परिणाम है। विद्यार्थी की ओजपूर्ण रचनाओं से परिचित कुछ श्राताओं को उस समय हैरानी भी कम नहीं होती जब वे उन्हे किसी हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन अथवा संचालन करते देखते हैैं। अपने प्रेरणास्त्रोत रहे दिवंगत कवियों की भांति वह भी कार्यक्रम के दौरान कभी चुटकुलों का सहारा नहीं लेते, बल्कि कार्यक्रम के दौरान घट रही घटनाओं व उपस्थित कवियों के काव्य पाठ पर आधारित काव्य टिप्पणियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने का कौशल दिखाते हैं।
विभिन्न टीवी धारावाहिकों, म्यूजिक एलबमों एवं टेलीफिल्मों के लिए हिंदी, पंजाबी एवं हरियाणवी गीत लिख चुके विद्यार्थी वर्ष 1998 मेेंं हरियाणा के सर्वश्रेष्ठ पंजाबी कवि का खिलाब भी हासिल कर चुके हैं। यहीं नहीं भिवानी में आयोजित अखिल भारतीय साहित्य परिषद के कार्यक्रम के एक कार्यक्रम में उन्हें साहित्य नायक सम्मान व हरियाणवी समाचार पत्र लणिहार की प्रबंध समिति द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान से भी नवाजा जा चुका है। तीन दशक पूर्व एअर इंडिया की साहित्यिक संस्था सुपथगा से शुरू हुआ विद्यार्थी का यह गौरवशाली सिलसिला असंख्य सरकारी व निजी संस्थाओं के मंचों से निरंतर जारी है। दस साल पहले मोहन नगर स्थित मकान बेचा तो परिजनों ने वहां रखे सभी स्मृति चिन्हों को भी वहीं छोड़ दिया। उनका नया मकान भी उन्हे सम्मान स्वरूप मिले स्मृति चिन्हों की दिनोदिन बढ़ती संख्या के कारण न केवल एक संग्रहालय का रूप लेता जा रहा है अपितु परिजनों के लिए समस्या भी बनता जा रहा है। विद्यार्थी जी उर्दू के किसी अज्ञात शायर के शेर को अक्सर उद्धृत करते है कि-
हयात के चलो , कायनात ले के चलो।
चलो तो सारे जमाने को साथ ले के चलो।।
विद्यार्थी के अनुसार यही शेर उनकी जीवन शैली का दर्पण भी है। लगभग चार दशकों से कविता व तीन दशकों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय विद्यार्थी का दावा है कि हरियाणा में उनसे अमीर कोई पत्रकार नहीं और देश में उनसे बड़ा किसी कवि का परिवार नहीं। सुनने में यह बात थोड़ी अजीब तो लगती है पर उन्हें निकट से जानने वाले इस बात की पुष्टि ही करते है। विद्यार्थी के अनुसार सच्चा कवि वही है जो धर्म, जाति, क्षेत्र अथवा भाषा की संकीर्ण सोच से परे मानवीय मूल्यों के उत्थान के लिए सृजन का बीड़ा उठाये व वास्तविक पत्रकार भी वही है जो अपनी निजी पसंद को तिलंाजलि देकर केवल सत्य आधारित पत्रकारिता को स्थापित करने का प्रयास करे।
काव्य मंचों पर कई दशकों से सक्रिय विद्यार्थी कविता को जनजागरण व तनाव मुक्ति का अचूक अस्त्र तो मानते है पर इस क्षेत्र में बढ़ रही गलाकाट व्यावसायिक प्रतिद्वंदता के चलते पनपी गुटबंदी को साहित्य जगत के लिए अशुभ बताते हैं। उनका मानना है कि कुछ मीडिया घरानों की गैरजिम्मेदाराना हरकतों के चलते जहां समाज में अविश्वास की भावना बढ़ रही है वहीं मनोरंजन के नाम पर कुछ भी परोस कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रा का अनुचित लाभ उठा रहे मंचों के कुछ चर्चित चेहरे अमर्यादित आचरण व सामाजिक विसंगतियों को समर्थन देते प्रतीत होते हैं। दोनो क्षेत्रों में कथनी-करनी के विरोधाभास के चलते कुछ चतुर खिलाड़ी अपना आर्थिक सम्राज्य स्थापित करने में भले ही सफल हो जाएं किन्तु इससे समाज का कुछ खास लाभ नहीं होने वाला।
वरिष्ठ कवियों को सम्मान देने में सदैव तत्पर रहने वाले विद्यार्थी जी का एक गुण जो उनके व्यवहार का स्थाई अंग बन चुका है, उसकी चर्चा किए बिना उनका परिचय अधूरा ही रहेगा। नवोदित कवियों को अवसर देने और दिलाने के मामले में सदैव अग्रणी रहने वाले इस कवि ने पिछले चार सालों से देश के लोकप्रिय टीवी चैनल जनता टीवी पर प्रसारित हो रहे कार्यक्रम जनता कवि दरबार के संयोजक के रूप में देश के कुछ वरिष्ठ व प्रसिद्व कवियों के अलावा सैकड़ों ज्ञात-अज्ञात नवोदित कवियों को अवसर देकर उनकी सफलता का मार्ग प्रशस्त करने मेें मदद की। साहित्य, समाज व संस्कृति को समर्पित संस्था कलमवीर विचार मंच के संस्थापक के रूप में भी वह लगातार अपने इस अभियान में जुटे दिखाई देते हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, अभिनेता मनोज कुमार व संगीतकार उत्तम सिंह सहित देश के अनेक शीर्ष नेताओं, सफल अभिनेताओं व संगीतकारों के प्रिय विद्यार्थी जी के स्वभाव की अनेक विशेषताओं में उनके स्वाभिमानी स्वभाव का भी उल्लेख करना चाहूंगा। वर्ष 2001 से 2005 तक घोर आर्थिक संकटों से जूझने के बावजूद हमेशा दूसरो की मदद के लिए तत्पर रहने वाले इस कलमवीर ने कभी भी अपने किसी मित्र, परिचित अथवा रिश्तेदार के सम्मुख सहायता की गुहार नहीं लगाई। यही नहीं उस अवधि में भी वह स्वैच्छिक रक्तदान के माध्यम से समाज के जरूरतमंद लोगों को जीवनदान देने के संकल्प को पूरा करने में पूर्ववत जुटे रहें। कुछ समय पहले बहादुरगढ़ के ब्रह्मशक्ति संजीवनी अस्पताल में आयोजित एक समारोह तथा अभी हाल ही में रक्तदान जागृति मंच रोहतक द्वारा आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में अब तक 31 बार रक्तदान कर चुके विद्यार्थी जी को उनके अनुकरणीय सेवा भाव के लिए सम्मानित किया गया है।