बहादुरगढ़ आज तक, विनोद कुमार
बहादुरगढ़ शहर के दयानन्द नगर में एक ऐसी जीव प्रेमी बेटी है जो कि किराए के मकान में रहते हुए भी शहर की बेसहारा बिल्लियों को सहारा देती है। कॉलेज स्टूडेंट शालू नाम की इस बिटिया के पिता का बर्ष 2013 में स्वर्गवास हो गया था और अब इनकी माता ही इनका एकमात्र सहारा है। पिता का साया सर पर ना होने के बावजूद भी शालू मां के सहयोग से शहर की बेसहारा बिल्लियों का सहारा बन रही है। बहादुरगढ़ शहर व आसपास के क्षेत्र में कहीं पर भी कोई भी बेसहारा घायल, बीमार बिल्ली शालू को मिलती है तो वह उसे अपने घर ले आती है। घर लाकर शालू इन बेसहारा ,घायल बिल्लियों का इलाज करती है व उनको अच्छा खाना खिलाती है। इसके बाद वह उनको किसी अच्छे घर में अडॉप्ट करवा देती है। जीव सेवा का शौक शालू के लिए केवल बिल्लियों तक ही सीमित नहीं है। शालू बिल्लियों के अलावा हर रोज शहर में सैकडों बेसहारा डॉगीज को भी खाना भी खिलाती है। इसके अलावा शालू बेसहारा गोवंशों के लिए हरे चारे की व्यवस्था भी करवाती है। इस सेवा कार्य में शालू की माताजी उनका पूरा सहयोग करती है। शालू की माताजी एक प्राइवेट स्कूल में नर्सरी टीचर हैं परंतु उसके बावजूद भी वह शालू को इस बेसहारा बिल्लियों वह अन्य बेसहारा जीवो की सेवा करने में पूरी मदद करती है। अब तो हालात यह है कि शालू के पास अकेले बहादुरगढ़ से नहीं ही नहीं बल्कि दिल्ली व गुड़गांव की घायल व बीमार बिल्लियां भी आने आने लगी है। शालू बिल्लियों को अच्छा खाना देती है व अच्छा उपचार करवाती है तथा उसके बाद ठीक बिल्लियों को नोएडा, गुड़गांव व दिल्ली में अडॉप्ट करवा देती है। बचपन से पिता का साया सिर पर ना होने के बावजूद भी शालू उन छोटी-छोटी बेसहारा बिल्लियों का सहारा बनती है जिनका कोई सहारा नहीं होता। ऐसी बिल्ली के बच्चे जिन को उनकी मां जन्म देते ही मर जाती है, उनको भी शालू अपने घर में आश्रय देती है व उनको बड़ा करके अच्छे घरों में अडॉप्ट करवाती है। शालू आज बहादुरगढ़ शहर में किसी पहचान की मोहताज नहीं है। सभी उसको एक बिल्ली प्रेमी के नाम से जानते हैं। शालू की बहादुरगढ़ के लोगों से अपील है कि कि अगर वे बिल्लियों व डॉगीज के लिए कुछ खाना उसके घर पहुंचा दे तो उसे काफी मदद मिल सकती है। शालू कहती है कि जो लोग अपने बच्चों को छोटी-छोटी प्यारी-प्यारी बिल्लियों को दिखाना चाहते हैं वे उसके घर में विजिट कर सकते हैं तथा बिल्लियों के लिए खाना भी लाकर दे सकते हैं। इसके अलावा शालू को अगर किसी भी जीव पर कोई अत्याचार होता दिखाई देता है तो वह तुरंत उसके खिलाफ आवाज उठाती है तथा वाइल्ड लाइफ में इसकी शिकायत भी करती है। शालू का मानना है कि ये बेजुबान जीव हमारे ऊपर आश्रित हैं। अगर हम मनुष्य होकर भी इनकी मदद नहीं कर सकते तो हमें ऐसी जिंदगी पर धिक्कार है। जीव-जंतु प्रकृति का एक अभिन्न अंग हैं। इसलिए हम को इन जीव-जंतुओं व प्रकृति का ध्यान रखना चाहिए। शालू ने बताया कि जीव जंतु एवं प्रकृति को बचाना मनुष्य का सबसे पहला धर्म है। भगवान ने केवल मनुष्य को ही बोलने, समझने व काम करने की शक्ति दी है, इसलिए हम सभी को बेसहारा जीवों का सहारा अवश्य बनना चाहिए।